कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में वार्षिक 'विजिटर्स कॉन्फ्रेंस' में ये बयान दिए। सम्मेलन में 23 भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों (आईआईटी), 31 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईईएसटी), शिबपुर के निदेशकों ने हिस्सा लिया।
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को विश्वास जताया कि आईआईटी और एनआईटी अपनी विशेषज्ञता के माध्यम से वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढ लेंगे और साथ ही छात्रों तथा शोधकर्ताओं में संवेदनशीलता जगाएंगे।
कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में वार्षिक 'विजिटर्स कॉन्फ्रेंस' में ये बयान दिए। सम्मेलन में 23 भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों (आईआईटी), 31 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईईएसटी), शिबपुर के निदेशकों ने हिस्सा लिया। कोविंद ने कहा, ''यह वर्ष का ऐसा वक्त है जब देश की राजधानी और कई अन्य शहरों की वायु गुणवत्ता मानकों से परे काफी खराब हो गई है। कई वैज्ञानिकों ने भविष्य की दुखद तस्वीर पेश की है। शहरों में धुंध और खराब दृश्यता के दिनों में हमें डर रहता है कि क्या भविष्य ऐसा ही है।'' उन्होंने कहा, ''मुझे विश्वास है कि आपके संस्थान इसका समाधान निकालेंगे और हमारे साझे भविष्य के लिए छात्रों और शोधकर्ताओं के बीच संवेदनशीलता और जागरूकता का प्रसार करेंगे।''
कोविंद ने कहा, ''हम ऐसी चुनौती का सामना कर रहे हैं जो पहले कभी नहीं आई। पिछली कुछ सदियों में हाइड्रोकार्बन ऊर्जा ने दुनिया का चेहरा बदल दिया है लेकिन अब इससे हमारे अस्तित्व पर ही खतरा पैदा हो गया है। यह चुनौती उन देशों के लिए और विकट हो गयी है जो जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को गरीबी से बाहर लाने के लिए संघर्षरत हैं। फिर भी हमें विकल्प तलाशना होगा।'' राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार द्वारा 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधारने का प्रयास करने के बाद अब उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए 'ईज ऑफ लिविंग' में सुधार लाना है।